आज मै आप सभी को एक Motivational Story. कहानी सुनने वाला हू जो आप ने कभी नहीं सुनी होगी।
तो शुरू करते है बहुत समय पहले की बात है रमेश नाम का एक आदमी था वह का कपड़ो का व्यापारी था। रमेश ने नया नया व्यापार शुरू
किया था। और दिन बीतता चला गया और रमेश को व्यापार मे कोई फायदा नजर नही आ रहा था। रमेश इस बात से बहुत परेशान होने लगा।
और दिन बीतता गया लेकिन रमेश की परेशानी काम भी नहीं हो रही थी
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फिर वह सोचता है की मे यहाँ व्यापार बंद कर देता ह। फिर वह अपनी दुकान को बंद कर के घर जाने लगा । और कुछ दूर चल ने के बाद एक बगीचा दिखाई देता है। और वह बगीचे मे जा कर बैठ जाता है और ईधर उधर देखने लगता है। तभी उसे एक पेड़ पर एक चिड़िआ दिखाई देती है। और छोटी छोटी लकड़ी के हिसो से पेड़ पर गौसला बना रही थी और लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े हवा के करण बार बार निचे गिर जा रहे थे लकिन वह चिड़िया बार बार उस टुकड़े को पेड़ पर रख रही थी। और रमेश इस चीज को देख रहा था और देखते ही देखते उस चिड़िया ने अपना गौसला बन लिया था। रमेश ने यहाँ देख अपने मन में यह सोचने लगा की जब एक छोटी सी जान हर नहीं मान रही है तो मई क्यू मान लू। और इसी विश्वास से अपने घर जाने लग और अगले दिन सुबह एक नई ऊर्जा के साथ अपने काम पर गया। इस कहनी से हमें यह सीख मिलती है की हमें कभी हर नहीं माननी चाहिए
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इसी लिया कहा गया है की
लहरों से दर कर नौका पर नहीं होती
कोशिस करने वालो की कभी हर नहीं होती।