Shree Bhairav Ashtakam

Shree Bhairav Ashtakam  का सुभारम्भ करेंगे  सकलकलुषहारी धूर्तदुष्टान्तकारी, सुचिरचरितचारी मुण्डमौञ्जीप्रचारी । करकलितकपाली कुण्डली दण्डपाणिः, स भवतु सुखकारी भैरवो भावहारी ॥ १॥ विविधरासविलासविलासितं नववधूरवधूतपराक्रमम् । मदविधूणितगोष्पदगोष्पदं भवपदं सततं सततं स्मरे ॥…

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